डर


वह एक कलाकार था

लेकिन उसकी कला चुभती बहुत थी

वह मनमौजी था, इसलिये

अपने मन की सुनता था

अपने मन की कहता था

अपने मन की करता था

वह मौलिक था

इसलिये बनावटी नहीं हो सकता था

सृजनात्मकता उसकी ताकत थी

इसलिये वह विध्वंस नहीं कर सकता था

वह संवेदनशील था 

इसलिये हानिकारक नहीं हो सकता था

उसकी कला विचार करने पर मजबूर करती थी

उसकी आवाज़ ऐशो आराम की तंद्रा को भंग करती थी

वह सुषुप्त चेतनाओं को जागृत करता था

उसे पाने की लालसा नहीं थी और न ही खोने का डर था

इसलिये वह भयभीत नहीं होता था

वह जीवन में और जीवंतता में विश्वास करता था

परन्तु एक दिन उसे मार दिया गया

क्योंकि वह लोगों का डर कम कर रहा था