Jun,27 2023
दुनियां में जब मैंने पहली बार आंखे थी खोली,
मेरे सामने थी खड़ी, एक प्यारी सी सूरत भोली।
मुझे उन्होंने उठाया था, पहली बार जब हाथों में,
आज तक बस हुआ है, उनका कोमल भाव मेरी सांसों में।
मैं कभी नहीं भूल सकता इतनी प्यारी सी झोली,
जिस झोली में मेरी नानी मां ने मुझे सुनाई थी लोरी।
मेरी मां, मेरे मामा सभी बुलाते है उसको मां,
भगवान ने मुझे दी है, ऐसी प्यारी नानी मां।
आज वह मेरे साथ नहीं है फिर भी मैं नहीं हूं उदास
क्योंकि मेरी नानी मां ने मां को रखा है मेरे पास।
कभी मैं नहीं भूल सकता अपनी नानी मां का प्यार,
हर घड़ी हर पल मुझे याद रहेगा नानी मां का दुलार।
मैं तो हूं एक राजा बेटा अपनी नानी मां का,
मेरी नानी मां तो अनमोल रत्न है, इस सारे संसार का।
मां भी तो बनेगी एक दिन नानी,
तब उनको मैं कहूंगा, मेरी नानी मां की कहानी।
सारे बच्चों का ख्याल रखनेवाली मां,
नानी मां, मेरी प्यारी नानी मां।
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Jun,27 2023
मैं दक्षिण भारत से हूँ और हिंदी मेरी मातृभाषा नहीं है। दिल्ली आने के बाद मैंने हिंदी सीखनी शुरू की। यद्यपि, हिंदी लिखने में अभी भी मुझे अधिक प्रयास करना पड़ता है किन्तु अब मैं खूब हिंदी बोलती हूँ और पढ़ भी लेती हूँ। पिछले दिनों मैंने हिंदी पखवाड़ा के दौरान हिंदीतर भाषियों के लिए आयोजित हिंदी प्रतियोगिता में भाग लिया था जिसमें मुझे प्रोत्साहन पुरस्कार मिला। इस बात से मुझे हिंदी सीखने का और बल मिला। हाल ही में मोहम्मद इकबाल की पंक्तियों को लिखना सीखा जिनमें हिंदी की महता का सार है :
हिंदी हैं हम, वतन है, हिंदोस्तान हमारा
हम बुलबुलें हैं इसकी,यह गुलिस्ताँ हमारा।
सचमुच ही हिंदी हमारे देश की आन, बान और शान है। देश प्रेम से भरी हुई राष्ट्रकवि श्री मैथिलीशरण गुप्त की निम्न पंक्तियां भी लिखना सीख रही हूं :
भरा नहीं जो भावों से, बहती जिसमें रसधार नहीं
हृदय नहीं वह पत्थर है, जिसमें स्वदेश का प्यार नहीं।।
मैंने हिंदी की कुछ अच्छी पंक्तियाँ भी अभ्यास के लिए चुनी हैं :
हिंदी में काम करना देशभक्ति है, कर्म करना ही सही आसक्ति है।
सृजन करे जो वो मातृशक्ति है, स्व का मोह त्याग ही विरक्ति है।।
मन की बात कहना तो शक्ति है, पर क्या निष्काम कर्म विभक्ति है?
कॉनकॉर के पुस्तकालय में भी बहुत अच्छी अच्छी हिंदी पुस्तकें हैं जो मेरे जैसे हिंदीतर भाषियों का मार्गदर्शन करती हैं। साथ ही, हिंदी विभाग के अलावा अन्य सहयोगियों से भी हिंदी सीखने में बहुत मदद मिलती है। सभी के सहयोग से हिंदी लिखना सीख रही हूँ।
सच में, इसे ही कहते हैं : सबका साथ, सबका विकास।
Jun,13 2023
एक दिन मैंने “खुशी” से पूछा:-
ऐ “खुशी” तू कहाँ मिलती है
क्या तेरा कोई पक्का पता है?
क्यों बन बैठी है अनजानी
आखिर क्या है तेरी कहानी?
सरोज (मैंने) ने कहाँ-कहाँ नहीं ढूंढा तुझको
पर तू कहीं न मिली मुझको।
ढूंढा ऊँची सोसाइटी के मकानों में
बडे-बडे मॉल की दुकानों में।
चाऊमीन, बर्गर, पिज़्ज़ा जैसे विदेशी पकवानों में
टाटा, अंबानी और अडानी जैसे चोटी के धनवानों में।
बाकी सब भी खुशी ही ढूंढ रहे थे,
बल्कि “सरोज” से ही पूछ रहे थे।
उम्र अब ढलान पर है,
हौंसला अब थकान पर है।
मैं भी हार नही मानूंगी
खुशी के रहस्य को जानूंगी।
बचपन में मिला करती थी,
सरोज साथ रहा करती थी।
पर जब से मेरे कर्तव्य और ज़िम्मेदारियों की सीढ़ी मुझसे बड़ी हो गई
मेरी खुशी मुझसे जुदा हो गई।
मैं फिर भी नही हारी।
मैंने अपने अन्दर की पीड़ा को मारा।
एक दिन जब अन्दर से आवाज यह आई
तू क्यों मुझको ढूंढ रही है घबराई
मैं तेरे ही अन्दर हूँ समायी।
मेरा नहीं है कुछ भी "मोल"।
धन में मुझको न तोल।
मैं बच्चों की मुस्कानों में हूँ।
पति के साथ चाय पीने मेंI
"परिवार" के संग जीने में।
माँ-बाप के आशीर्वाद मेंI
रसोई घर के पकवानों में।
बच्चों की सफलता में हूँI
माँ की निश्छल ममता में हूँ।
हर पल तेरे संग रहती हूँ।
और अक्सर तुझसे कहती हूँ।
मैं तो बस एक "अहसास" हूँ।
बंद कर दे तू मेरी तलाश।
मैं तो हूं तेरे ही पास...... बस तेरे ही पास।
May,28 2021
कोविड महामारी के इलाज हेतॠदवाà¤à¤‚ कà¤à¥€ तो इतनी आवशà¥à¤¯à¤• हो जाती है कि उनकी बà¥à¤²à¥ˆà¤• मारà¥à¤•à¥‡à¤Ÿà¤¿à¤‚ग शà¥à¤°à¥‚ हो जाती है जैसेकि इंजेकà¥à¤¶à¤¨ रेमेडीसिवर । बहà¥à¤¤ से पढेे लिखेे यà¥à¤µà¤• ततà¥à¤•à¤¾à¤² पैसा कमाने के चकà¥à¤•à¤° मेंं बà¥à¤²à¥ˆà¤• मारà¥à¤•à¥‡à¤Ÿà¤¿à¤‚ग करते कानून केे फंंदे में आ गठ। अब चिकितà¥à¤¸à¤¾ जगत फरमान करता है कि कोविड के इलाज हेतॠइंजेकà¥à¤¶à¤¨ रेमेडीसिवर हटा दिया जाठ। इन सबसे अचà¥à¤›à¤¾ तो योग और पà¥à¤°à¤¾à¤£à¤¾à¤¯à¤® है। योग की शà¥à¤°à¥‚आत बहà¥à¤¤ आसाान औैर सामानà¥à¤¯ होती है। इसका पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µ शरीर की मांसपेशियों और अंंगो पर धीरेे धीरे पड़ता है। यह à¤à¤• कà¥à¤°à¤®à¤¿à¤• पà¥à¤°à¤•à¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾ होती है। जिसे à¤à¤• केे बाद à¤à¤• करने से शरीर को लचीलापन और मजबà¥à¤¤à¥€ मिलती है। बचà¥à¤šà¥‹ से लेकर बà¥à¤¢à¥‡ तक आराम से कर सकते है।
Mar,31 2021
यह सही बात है कि मौजà¥à¤¦à¤¾ परिसà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ं में रोजगार के अवसरों में कमी आई है । कोविड महामारी ने तो इसमें इजाफा ही किया है। बहà¥à¤¤ सारे उधोग धंंधे चौपट हो गठ। विà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤—ी परीकà¥à¤·à¤¾à¤¾à¤¾à¤à¤‚ à¤à¤¦ या सà¥à¤¥à¤—ित होने से से à¤à¥€ यà¥à¤µà¤¾à¤¾à¤“ं को मिलने वाली नौकरी में देरी हो रही है। तकनीकी का बढ़ता दखल à¤à¥€ इसका à¤à¤• कारण है । आरà¥à¤Ÿà¤¿à¤«à¤¿à¤¶à¤¿à¤¯à¤² इंटेलीजेेस जैसी तकनीक से नौकारियोंं पर असर पडनाा तय है। सरकारी नौकरियों मेंं कमी की à¤à¤°à¤ªà¤¾à¤¾à¤ˆ के लिठनिजी कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° का सहयोग लेना आज की सखà¥à¤¤ जरूरत है । माननीय मंतà¥à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ं नेेकई बार यह उजागर किया है कि सरकार का काम बिजनेस करना या उधोग चलााना नही है। निसंदेह सरकार का काम उधोग चलााना नही है लेकिन चà¥à¤¨à¤¾à¤µà¥€ घोषणा में ये माननीय रोजगार का मà¥à¤¦à¤¦à¤¾ खूूब उछालते है। सरकारी नौकरियों में कमी की à¤à¤°à¤ªà¤¾à¤ˆ निजी कà¥à¤·à¥‡à¥‡à¤¤à¥à¤° कर सके , इसके लिठउनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ पà¥à¤°à¥‹à¤¤à¥à¤¸à¤¾à¤¹à¤¨ दिया जाना आवशà¥à¤¯à¤• है।
Mar,09 2021
वह à¤à¤• कलाकार था
लेकिन उसकी कला चà¥à¤à¤¤à¥€ बहà¥à¤¤ थी
वह मनमौजी था, इसलिये
अपने मन की सà¥à¤¨à¤¤à¤¾ था
अपने मन की कहता था
अपने मन की करता था
वह मौलिक था
इसलिये बनावटी नहीं हो सकता था
सृजनातà¥à¤®à¤•à¤¤à¤¾ उसकी ताकत थी
इसलिये वह विधà¥à¤µà¤‚स नहीं कर सकता था
वह संवेदनशील था
इसलिये हानिकारक नहीं हो सकता था
उसकी कला विचार करने पर मजबूर करती थी
उसकी आवाज़ à¤à¤¶à¥‹ आराम की तंदà¥à¤°à¤¾ को à¤à¤‚ग करती थी
वह सà¥à¤·à¥à¤ªà¥à¤¤ चेतनाओं को जागृत करता था
उसे पाने की लालसा नहीं थी और न ही खोने का डर था
इसलिये वह à¤à¤¯à¤à¥€à¤¤ नहीं होता था
वह जीवन में और जीवंतता में विशà¥à¤µà¤¾à¤¸ करता था
परनà¥à¤¤à¥ à¤à¤• दिन उसे मार दिया गया
कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि वह लोगों का डर कम कर रहा था
Mar,09 2021
मैं हूठà¤à¤• नेमपà¥à¤²à¥‡à¤Ÿ
कà¤à¥€ यहॉं लटक जाता हूà¤,
तो कà¥à¤› अंतराल के बाद
कहीं और टांग दिया जाता हूà¤à¥¤
दरवाज़े के बाहर लटका
मैं देखता रहता हूà¤,
चंद चेहरों में ओहदे का दबदबा,
तो कà¥à¤› की ऑंखों में अंजाना सा डर।
तमाम चेहरों पर हंसी और उलà¥à¤²à¤¾à¤¸
तो कà¥à¤› के चेहरे गम से बदहवास
मैं देखता रहता हूà¤,
कà¥à¤› लोगों की ऑंखों में उमà¥à¤®à¥€à¤¦à¥‡à¤‚,
कà¥à¤› के दिलों में मायूसी,
चंद चेहरों पर हैरत
तो कà¥à¤› दिलों में उदासी।
मैं चशà¥à¤®à¤¦à¥€à¤¦ हूà¤
लोगों के बदलते रंगत और हाव à¤à¤¾à¤µ का
या फिर उनके अà¤à¤¿à¤¨à¤¯ कौशल का।
मेरे करीब से गà¥à¤œà¤°à¤¤à¥‡ हैं
कà¥à¤› पà¥à¤°à¥‡à¤® करने वाले तो, कà¥à¤› नफ़रत वाले चेहरे
कà¥à¤› तटसà¥à¤¥ और कà¥à¤› सौमà¥à¤¯ सादगी वाले चेहरे।
मैं दरवाज़े पर लटका सà¥à¤¨à¤¤à¤¾ रहता हूà¤
चंद लोगों की खà¥à¤¸à¤«à¥à¤¸à¤¾à¤¹à¤Ÿà¥‡à¤‚, चंद साजिशें,
कà¥à¤› का उपहास,
तो कà¥à¤› का उनà¥à¤®à¥à¤•à¥à¤¤ हासà¥à¤¯,
मैं महसूस करता रहता हूà¤
उनकी खामोशिया, उनकी दà¥à¤¶à¥à¤µà¤¾à¤°à¤¿à¤¯à¥‰à¤‚,
उनकी सरगोशियॉं उनकी तनहाईयॉं।
मैं गवाह हूà¤,
उनकी मेहनत और लगन का
उनके à¤à¥€à¤¤à¤° के जज़à¥à¤¬à¥‡ का,
कà¥à¤› बेहतर कर गà¥à¤œà¤°à¤¨à¥‡ के हौसले का।
मैं राज़दार हूà¤,
दरवाज़े के बाहर के तमाम राज़ का
और
दरवाज़े के बाहर और à¤à¥€à¤¤à¤° के फरà¥à¤• का।
मैं दरवाज़े पर लटका हà¥à¤†
शरीक होता रहता हूà¤,
उनके तमाम सà¥à¤–-दà¥à¤– में,
उनके गौरव के कà¥à¤·à¤£à¥‹à¤‚ में
उनके हà¤à¤¸à¤¤à¥‡ मà¥à¤¸à¥à¤•à¥à¤°à¤¾à¤¤à¥‡ पलों में।
उनके तà¥à¤¯à¥‹à¤¹à¤¾à¤°à¥‹à¤‚ में
उनके वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤°à¥‹à¤‚ में।
मैं उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ बताना चाहता हूठकि
मैं सिरà¥à¤« à¤à¤• नेमपà¥à¤²à¥‡à¤Ÿ नहीं हूà¤
मेरे à¤à¥€à¤¤à¤° à¤à¥€ à¤à¤• इंसान है
जो सोचता है, समà¤à¤¤à¤¾ है
हà¤à¤¸à¤¤à¤¾ है, रोता है
फैसले करता है,
कà¥à¤› सही, कà¥à¤› गलत
कà¤à¥€ नाराज़ तो कà¤à¥€ खà¥à¤¶ होता है,
कà¤à¥€ मायूस तो कà¤à¥€ अà¤à¤¿à¤®à¤¾à¤¨ करता है
बिलकà¥à¤² उन सब की तरह।
मैं à¤à¥€ उनकी तरह बात करना चाहता हूà¤
मिलकर हंसना चाहता हूà¤
उनको समà¤à¤¨à¤¾ चाहता हूà¤
उनके सà¥à¤–दà¥à¤– में शामिल होना चाहता हूà¤
उनको अपनाना चाहता हूà¤à¥¤
उनके सपने बांटना चाहता हूà¤
उनका राज़दार होना चाहता हूà¤,
और चाहता हूठकि वे
मà¥à¤à¥‡ सिरà¥à¥ž दरवाज़े पर न लटकाà¤à¤‚,
कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि मैं सिरà¥à¤« à¤à¤• नेमपà¥à¤²à¥‡à¤Ÿ नहीं हूà¤
इस नेमपà¥à¤²à¥‡à¤Ÿ के साथ जà¥à¤¡à¤¼à¥€ हैं
पद की गरिमा, तमाम जिमà¥à¤®à¥‡à¤¦à¤¾à¤°à¤¿à¤¯à¥‰à¤‚
लोक सेवा की उमà¥à¤®à¥€à¤¦à¥‡, संसà¥à¤¥à¤¾ का मान समà¥à¤®à¤¾à¤¨
सहकरà¥à¤®à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ की आशाà¤à¤‚, गà¥à¤°à¤¾à¤¹à¤•à¥‹à¤‚ का कलà¥à¤¯à¤¾à¤£
लेकिन आज à¤à¤•à¤¬à¤¾à¤° फिर
à¤à¤• दरवाजे से हटाकर मैं,
दूसरे दरवाज़े पर टांग दिया जाऊंगा,
मैं à¤à¤• नेमपà¥à¤²à¥‡à¤Ÿ हूà¤à¥¤
Mar,09 2021
à¤à¤• खूबसूरत , मगर अजनबी
हवा का à¤à¥‹à¤‚का
जेठकी दà¥à¤ªà¤¹à¤°à¥€ में
अपनी महक और शीतलता से
मà¥à¤à¥‡ महका रहा था।
à¤à¤• सà¥à¤®à¤¿à¤¤ हासà¥à¤¯ और
पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨à¤¾à¤‚कित आंखों से
यह शीतल किंतॠचंचल समीर
कà¥à¤› असहज, कà¥à¤› अनमना
कà¥à¤› अनिशà¥à¤šà¤¿à¤¤ सा
बहा जा रहा था।
à¤à¤• मनमीत से मिलन
की आस और
मन की बात बांट लेने
का à¤à¤¹à¤¸à¤¾à¤¸
तन मन को कसका रहा था।
ये महज़ संयोग था
या फिर
à¤à¤• खूबसूरत, मगर नामà¥à¤®à¤•à¤¿à¤¨
और अनकहे रिशà¥à¤¤à¥‡
की बà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾à¤¦ का योग था।
Mar,09 2021
तà¥à¤® महज़ à¤à¤• खूबसूरत à¤à¤¹à¤¸à¤¾à¤¸ हो।
तà¥à¤®à¥à¤¹à¥‡à¤‚ देखा नहीं जा सकता।
नहीं। तà¥à¤®à¥à¤¹à¥‡à¤‚ देखा जा सकता है,
लेकिन, तà¥à¤®à¥à¤¹à¥‡à¤‚ सिरà¥à¤« à¤à¤• खास तरह से
देखा जा सकता है
किसी और तरह से नहीं।
वरना तà¥à¤® , तà¥à¤® नहीं रहोगी।
तà¥à¤®à¥à¤¹à¥‡à¤‚ छà¥à¤† नहीं जा सकता है।
कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि छूने से तà¥à¤®,
मैली हो जाओगी।
या फिर कà¥à¤®à¥à¤¹à¤²à¤¾ जाओगी।
तà¥à¤®à¥à¤¹à¥‡à¤‚ कहा नहीं जा सकता है।
कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि कहने में à¤à¤¹à¤¸à¤¾à¤¸ कम पड़ जाते है,
या फिर जो मैं कहूंगा
उसमें मैं अधिक और “तà¥à¤®” कम हो सकती हो।
हां। तà¥à¤®à¥à¤¹à¥‡à¤‚ सà¥à¤¨à¤¾ जा सकता है
कà¥à¤¯à¥‚ंकि वह तà¥à¤® हो
तà¥à¤® सृजन हो, सच हो, मौलिक हो।
तà¥à¤®à¥à¤¹à¥‡à¤‚ सिरà¥à¤« महसूस किया जा सकता है
कà¥à¤¯à¥‚ंकि तà¥à¤® à¤à¤• खूबसूरत à¤à¤¹à¤¸à¤¾à¤¸ हो
जो कि अनदेखा,अनछà¥à¤† और अनकहा है
अगर मैं इस खूबसूरत à¤à¤¹à¤¸à¤¾à¤¸ को
महसूस कर सकता हूं
तो तà¥à¤® सदा के लिठहमारी हो।
Mar,09 2021
आओ हिंदी में काम करें
ये à¤à¤¾à¤·à¤¾ आपकी अपनी है
इसे उनà¥à¤¨à¤¤, विशà¥à¤µ पà¥à¤°à¤§à¤¾à¤¨ करें।
सरल सà¥à¤—म है अपनी हिंदी
निज à¤à¤¾à¤·à¤¾ का उतà¥à¤¥à¤¾à¤¨ करें
अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥€ की बेड़ी तोड़ें
हिंदी का कलà¥à¤¯à¤¾à¤£ करें।
सहज संवाद की à¤à¤¾à¤·à¤¾ हिंदी
इस पर हम अà¤à¤¿à¤®à¤¾à¤¨ करें
हर पà¥à¤°à¤¾à¤‚त की अपनी हिंदी
सबका हम समà¥à¤®à¤¾à¤¨ करें।
बोलचाल की हिंदी का
फाईलों में à¤à¥€ धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ करें
सरल शबà¥à¤¦à¥‹à¤‚ का समावेश कर
हिंदी लेखन को आसान करें।
Mar,08 2021
संविधान की धारा 343(1) के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ संघ की राजà¤à¤¾à¤·à¤¾ हिनà¥à¤¦à¥€ à¤à¤µà¤‚ लिपि देवनागरी है। संघ के राजकीय पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤œà¤¨à¥‹à¤‚ के लिये पà¥à¤°à¤¯à¥à¤•à¥à¤¤ अंकों का रूप à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ अंकों का अंतरराषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ सà¥à¤µà¤°à¥‚प (अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤ 1, 2, 3 आदि) है। किनà¥à¤¤à¥ इसके साथ संविधान में यह à¤à¥€ वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ की गई कि संघ के कारà¥à¤¯à¤•à¤¾à¤°à¥€, नà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¤¿à¤• और वैधानिक पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤œà¤¨à¥‹à¤‚ के लिठ1965 तक अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥€ का पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— जारी रहे। तथापि यह पà¥à¤°à¤¾à¤µà¤§à¤¾à¤¨ किया गया था कि उकà¥à¤¤ अवधि के दौरान à¤à¥€ राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¤ªà¤¤à¤¿ कतिपय विशिषà¥à¤Ÿ पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤œà¤¨à¥‹à¤‚ के लिठहिनà¥à¤¦à¥€ के पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— का पà¥à¤°à¤¾à¤§à¤¿à¤•à¤¾à¤° दे सकते हैं।
Mar,08 2021
हम विशà¥à¤µ में लगातार कई वरà¥à¤·à¥‹à¤‚ से अंतरराषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ महिला दिवस मनाते आ रहे हैं। महिलाओं के समà¥à¤®à¤¾à¤¨ के लिठघोषित इस दिन का उदà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤¯ सिरà¥à¤« महिलाओं के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ शà¥à¤°à¥ƒà¤¦à¥à¤§à¤¾ और समà¥à¤®à¤¾à¤¨ बताना है। इसलिठइस दिन को महिलाओं के आधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¿à¤•, शैकà¥à¤·à¤¿à¤•, आरà¥à¤¥à¤¿à¤•, राजनीतिक और सामाजिक उपलबà¥à¤§à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के उपलकà¥à¤·à¥à¤¯ में मनाया जाता है। आज अपने समाज में नारी के सà¥à¤¤à¤° को उठाने के लिठसबसे जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ जरूरत है महिला सशकà¥à¤¤à¤¿à¤•à¤°à¤£ की। महिला सशकà¥à¤¤à¤¿à¤•à¤°à¤£ का अरà¥à¤¥ है महिलाओं की आधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¿à¤•, शैकà¥à¤·à¤¿à¤•, सामजिक, राजनैतिक और आरà¥à¤¥à¤¿à¤• शकà¥à¤¤à¤¿ में वृधà¥à¤¦à¤¿ करना।
Sep,02 2020
मैने पेड़ से पूछा,
तà¥à¤® यà¥à¤—ों यà¥à¤—ों तक रहे अचल,
और अविचलित तà¥à¤®à¤¨à¥‡ दिया,
पथिकों को छाया और फल।
फिर à¤à¥€ तà¥à¤® रहे सदा पà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥à¤¨,
और हरे à¤à¤°à¥‡?