May,28 2021
कोविड महामारी के इलाज हेतॠदवाà¤à¤‚ कà¤à¥€ तो इतनी आवशà¥à¤¯à¤• हो जाती है कि उनकी बà¥à¤²à¥ˆà¤• मारà¥à¤•ेटिंग शà¥à¤°à¥‚ हो जाती है जैसेकि इंजेकà¥à¤¶à¤¨ रेमेडीसिवर । बहà¥à¤¤ से पढेे लिखेे यà¥à¤µà¤• ततà¥à¤•ाल पैसा कमाने के चकà¥à¤•र मेंं बà¥à¤²à¥ˆà¤• मारà¥à¤•ेटिंग करते कानून केे फंंदे में आ गठ। अब चिकितà¥à¤¸à¤¾ जगत फरमान करता है कि कोविड के इलाज हेतॠइंजेकà¥à¤¶à¤¨ रेमेडीसिवर हटा दिया जाठ। इन सबसे अचà¥à¤›à¤¾ तो योग और पà¥à¤°à¤¾à¤£à¤¾à¤¯à¤® है। योग की शà¥à¤°à¥‚आत बहà¥à¤¤ आसाान औैर सामानà¥à¤¯ होती है। इसका पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µ शरीर की मांसपेशियों और अंंगो पर धीरेे धीरे पड़ता है। यह à¤à¤• कà¥à¤°à¤®à¤¿à¤• पà¥à¤°à¤•à¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾ होती है। जिसे à¤à¤• केे बाद à¤à¤• करने से शरीर को लचीलापन और मजबà¥à¤¤à¥€ मिलती है। बचà¥à¤šà¥‹ से लेकर बà¥à¤¢à¥‡ तक आराम से कर सकते है।
Mar,31 2021
यह सही बात है कि मौजà¥à¤¦à¤¾ परिसà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ं में रोजगार के अवसरों में कमी आई है । कोविड महामारी ने तो इसमें इजाफा ही किया है। बहà¥à¤¤ सारे उधोग धंंधे चौपट हो गठ। विà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤—ी परीकà¥à¤·à¤¾à¤¾à¤¾à¤à¤‚ à¤à¤¦ या सà¥à¤¥à¤—ित होने से से à¤à¥€ यà¥à¤µà¤¾à¤¾à¤“ं को मिलने वाली नौकरी में देरी हो रही है। तकनीकी का बढ़ता दखल à¤à¥€ इसका à¤à¤• कारण है । आरà¥à¤Ÿà¤¿à¤«à¤¿à¤¶à¤¿à¤¯à¤² इंटेलीजेेस जैसी तकनीक से नौकारियोंं पर असर पडनाा तय है। सरकारी नौकरियों मेंं कमी की à¤à¤°à¤ªà¤¾à¤¾à¤ˆ के लिठनिजी कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° का सहयोग लेना आज की सखà¥à¤¤ जरूरत है । माननीय मंतà¥à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ं नेेकई बार यह उजागर किया है कि सरकार का काम बिजनेस करना या उधोग चलााना नही है। निसंदेह सरकार का काम उधोग चलााना नही है लेकिन चà¥à¤¨à¤¾à¤µà¥€ घोषणा में ये माननीय रोजगार का मà¥à¤¦à¤¦à¤¾ खूूब उछालते है। सरकारी नौकरियों में कमी की à¤à¤°à¤ªà¤¾à¤ˆ निजी कà¥à¤·à¥‡à¥‡à¤¤à¥à¤° कर सके , इसके लिठउनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ पà¥à¤°à¥‹à¤¤à¥à¤¸à¤¾à¤¹à¤¨ दिया जाना आवशà¥à¤¯à¤• है।
Mar,09 2021
वह à¤à¤• कलाकार था
लेकिन उसकी कला चà¥à¤à¤¤à¥€ बहà¥à¤¤ थी
वह मनमौजी था, इसलिये
अपने मन की सà¥à¤¨à¤¤à¤¾ था
अपने मन की कहता था
अपने मन की करता था
वह मौलिक था
इसलिये बनावटी नहीं हो सकता था
सृजनातà¥à¤®à¤•ता उसकी ताकत थी
इसलिये वह विधà¥à¤µà¤‚स नहीं कर सकता था
वह संवेदनशील था
इसलिये हानिकारक नहीं हो सकता था
उसकी कला विचार करने पर मजबूर करती थी
उसकी आवाज़ à¤à¤¶à¥‹ आराम की तंदà¥à¤°à¤¾ को à¤à¤‚ग करती थी
वह सà¥à¤·à¥à¤ªà¥à¤¤ चेतनाओं को जागृत करता था
उसे पाने की लालसा नहीं थी और न ही खोने का डर था
इसलिये वह à¤à¤¯à¤à¥€à¤¤ नहीं होता था
वह जीवन में और जीवंतता में विशà¥à¤µà¤¾à¤¸ करता था
परनà¥à¤¤à¥ à¤à¤• दिन उसे मार दिया गया
कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि वह लोगों का डर कम कर रहा था
Mar,09 2021
मैं हूठà¤à¤• नेमपà¥à¤²à¥‡à¤Ÿ
कà¤à¥€ यहॉं लटक जाता हूà¤,
तो कà¥à¤› अंतराल के बाद
कहीं और टांग दिया जाता हूà¤à¥¤
दरवाज़े के बाहर लटका
मैं देखता रहता हूà¤,
चंद चेहरों में ओहदे का दबदबा,
तो कà¥à¤› की ऑंखों में अंजाना सा डर।
तमाम चेहरों पर हंसी और उलà¥à¤²à¤¾à¤¸
तो कà¥à¤› के चेहरे गम से बदहवास
मैं देखता रहता हूà¤,
कà¥à¤› लोगों की ऑंखों में उमà¥à¤®à¥€à¤¦à¥‡à¤‚,
कà¥à¤› के दिलों में मायूसी,
चंद चेहरों पर हैरत
तो कà¥à¤› दिलों में उदासी।
मैं चशà¥à¤®à¤¦à¥€à¤¦ हूà¤
लोगों के बदलते रंगत और हाव à¤à¤¾à¤µ का
या फिर उनके अà¤à¤¿à¤¨à¤¯ कौशल का।
मेरे करीब से गà¥à¤œà¤°à¤¤à¥‡ हैं
कà¥à¤› पà¥à¤°à¥‡à¤® करने वाले तो, कà¥à¤› नफ़रत वाले चेहरे
कà¥à¤› तटसà¥à¤¥ और कà¥à¤› सौमà¥à¤¯ सादगी वाले चेहरे।
मैं दरवाज़े पर लटका सà¥à¤¨à¤¤à¤¾ रहता हूà¤
चंद लोगों की खà¥à¤¸à¤«à¥à¤¸à¤¾à¤¹à¤Ÿà¥‡à¤‚, चंद साजिशें,
कà¥à¤› का उपहास,
तो कà¥à¤› का उनà¥à¤®à¥à¤•à¥à¤¤ हासà¥à¤¯,
मैं महसूस करता रहता हूà¤
उनकी खामोशिया, उनकी दà¥à¤¶à¥à¤µà¤¾à¤°à¤¿à¤¯à¥‰à¤‚,
उनकी सरगोशियॉं उनकी तनहाईयॉं।
मैं गवाह हूà¤,
उनकी मेहनत और लगन का
उनके à¤à¥€à¤¤à¤° के जज़à¥à¤¬à¥‡ का,
कà¥à¤› बेहतर कर गà¥à¤œà¤°à¤¨à¥‡ के हौसले का।
मैं राज़दार हूà¤,
दरवाज़े के बाहर के तमाम राज़ का
और
दरवाज़े के बाहर और à¤à¥€à¤¤à¤° के फरà¥à¤• का।
मैं दरवाज़े पर लटका हà¥à¤†
शरीक होता रहता हूà¤,
उनके तमाम सà¥à¤–-दà¥à¤– में,
उनके गौरव के कà¥à¤·à¤£à¥‹à¤‚ में
उनके हà¤à¤¸à¤¤à¥‡ मà¥à¤¸à¥à¤•à¥à¤°à¤¾à¤¤à¥‡ पलों में।
उनके तà¥à¤¯à¥‹à¤¹à¤¾à¤°à¥‹à¤‚ में
उनके वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤°à¥‹à¤‚ में।
मैं उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ बताना चाहता हूठकि
मैं सिरà¥à¤« à¤à¤• नेमपà¥à¤²à¥‡à¤Ÿ नहीं हूà¤
मेरे à¤à¥€à¤¤à¤° à¤à¥€ à¤à¤• इंसान है
जो सोचता है, समà¤à¤¤à¤¾ है
हà¤à¤¸à¤¤à¤¾ है, रोता है
फैसले करता है,
कà¥à¤› सही, कà¥à¤› गलत
कà¤à¥€ नाराज़ तो कà¤à¥€ खà¥à¤¶ होता है,
कà¤à¥€ मायूस तो कà¤à¥€ अà¤à¤¿à¤®à¤¾à¤¨ करता है
बिलकà¥à¤² उन सब की तरह।
मैं à¤à¥€ उनकी तरह बात करना चाहता हूà¤
मिलकर हंसना चाहता हूà¤
उनको समà¤à¤¨à¤¾ चाहता हूà¤
उनके सà¥à¤–दà¥à¤– में शामिल होना चाहता हूà¤
उनको अपनाना चाहता हूà¤à¥¤
उनके सपने बांटना चाहता हूà¤
उनका राज़दार होना चाहता हूà¤,
और चाहता हूठकि वे
मà¥à¤à¥‡ सिरà¥à¥ž दरवाज़े पर न लटकाà¤à¤‚,
कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि मैं सिरà¥à¤« à¤à¤• नेमपà¥à¤²à¥‡à¤Ÿ नहीं हूà¤
इस नेमपà¥à¤²à¥‡à¤Ÿ के साथ जà¥à¤¡à¤¼à¥€ हैं
पद की गरिमा, तमाम जिमà¥à¤®à¥‡à¤¦à¤¾à¤°à¤¿à¤¯à¥‰à¤‚
लोक सेवा की उमà¥à¤®à¥€à¤¦à¥‡, संसà¥à¤¥à¤¾ का मान समà¥à¤®à¤¾à¤¨
सहकरà¥à¤®à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ की आशाà¤à¤‚, गà¥à¤°à¤¾à¤¹à¤•ों का कलà¥à¤¯à¤¾à¤£
लेकिन आज à¤à¤•बार फिर
à¤à¤• दरवाजे से हटाकर मैं,
दूसरे दरवाज़े पर टांग दिया जाऊंगा,
मैं à¤à¤• नेमपà¥à¤²à¥‡à¤Ÿ हूà¤à¥¤
Mar,09 2021
à¤à¤• खूबसूरत , मगर अजनबी
हवा का à¤à¥‹à¤‚का
जेठकी दà¥à¤ªà¤¹à¤°à¥€ में
अपनी महक और शीतलता से
मà¥à¤à¥‡ महका रहा था।
à¤à¤• सà¥à¤®à¤¿à¤¤ हासà¥à¤¯ और
पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨à¤¾à¤‚कित आंखों से
यह शीतल किंतॠचंचल समीर
कà¥à¤› असहज, कà¥à¤› अनमना
कà¥à¤› अनिशà¥à¤šà¤¿à¤¤ सा
बहा जा रहा था।
à¤à¤• मनमीत से मिलन
की आस और
मन की बात बांट लेने
का à¤à¤¹à¤¸à¤¾à¤¸
तन मन को कसका रहा था।
ये महज़ संयोग था
या फिर
à¤à¤• खूबसूरत, मगर नामà¥à¤®à¤•िन
और अनकहे रिशà¥à¤¤à¥‡
की बà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾à¤¦ का योग था।
Mar,09 2021
तà¥à¤® महज़ à¤à¤• खूबसूरत à¤à¤¹à¤¸à¤¾à¤¸ हो।
तà¥à¤®à¥à¤¹à¥‡à¤‚ देखा नहीं जा सकता।
नहीं। तà¥à¤®à¥à¤¹à¥‡à¤‚ देखा जा सकता है,
लेकिन, तà¥à¤®à¥à¤¹à¥‡à¤‚ सिरà¥à¤« à¤à¤• खास तरह से
देखा जा सकता है
किसी और तरह से नहीं।
वरना तà¥à¤® , तà¥à¤® नहीं रहोगी।
तà¥à¤®à¥à¤¹à¥‡à¤‚ छà¥à¤† नहीं जा सकता है।
कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि छूने से तà¥à¤®,
मैली हो जाओगी।
या फिर कà¥à¤®à¥à¤¹à¤²à¤¾ जाओगी।
तà¥à¤®à¥à¤¹à¥‡à¤‚ कहा नहीं जा सकता है।
कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि कहने में à¤à¤¹à¤¸à¤¾à¤¸ कम पड़ जाते है,
या फिर जो मैं कहूंगा
उसमें मैं अधिक और “तà¥à¤®” कम हो सकती हो।
हां। तà¥à¤®à¥à¤¹à¥‡à¤‚ सà¥à¤¨à¤¾ जा सकता है
कà¥à¤¯à¥‚ंकि वह तà¥à¤® हो
तà¥à¤® सृजन हो, सच हो, मौलिक हो।
तà¥à¤®à¥à¤¹à¥‡à¤‚ सिरà¥à¤« महसूस किया जा सकता है
कà¥à¤¯à¥‚ंकि तà¥à¤® à¤à¤• खूबसूरत à¤à¤¹à¤¸à¤¾à¤¸ हो
जो कि अनदेखा,अनछà¥à¤† और अनकहा है
अगर मैं इस खूबसूरत à¤à¤¹à¤¸à¤¾à¤¸ को
महसूस कर सकता हूं
तो तà¥à¤® सदा के लिठहमारी हो।
Mar,09 2021
आओ हिंदी में काम करें
ये à¤à¤¾à¤·à¤¾ आपकी अपनी है
इसे उनà¥à¤¨à¤¤, विशà¥à¤µ पà¥à¤°à¤§à¤¾à¤¨ करें।
सरल सà¥à¤—म है अपनी हिंदी
निज à¤à¤¾à¤·à¤¾ का उतà¥à¤¥à¤¾à¤¨ करें
अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥€ की बेड़ी तोड़ें
हिंदी का कलà¥à¤¯à¤¾à¤£ करें।
सहज संवाद की à¤à¤¾à¤·à¤¾ हिंदी
इस पर हम अà¤à¤¿à¤®à¤¾à¤¨ करें
हर पà¥à¤°à¤¾à¤‚त की अपनी हिंदी
सबका हम समà¥à¤®à¤¾à¤¨ करें।
बोलचाल की हिंदी का
फाईलों में à¤à¥€ धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ करें
सरल शबà¥à¤¦à¥‹à¤‚ का समावेश कर
हिंदी लेखन को आसान करें।
Mar,08 2021
संविधान की धारा 343(1) के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ संघ की राजà¤à¤¾à¤·à¤¾ हिनà¥à¤¦à¥€ à¤à¤µà¤‚ लिपि देवनागरी है। संघ के राजकीय पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤œà¤¨à¥‹à¤‚ के लिये पà¥à¤°à¤¯à¥à¤•à¥à¤¤ अंकों का रूप à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ अंकों का अंतरराषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ सà¥à¤µà¤°à¥‚प (अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤ 1, 2, 3 आदि) है। किनà¥à¤¤à¥ इसके साथ संविधान में यह à¤à¥€ वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ की गई कि संघ के कारà¥à¤¯à¤•ारी, नà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¤¿à¤• और वैधानिक पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤œà¤¨à¥‹à¤‚ के लिठ1965 तक अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥€ का पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— जारी रहे। तथापि यह पà¥à¤°à¤¾à¤µà¤§à¤¾à¤¨ किया गया था कि उकà¥à¤¤ अवधि के दौरान à¤à¥€ राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¤ªà¤¤à¤¿ कतिपय विशिषà¥à¤Ÿ पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤œà¤¨à¥‹à¤‚ के लिठहिनà¥à¤¦à¥€ के पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— का पà¥à¤°à¤¾à¤§à¤¿à¤•ार दे सकते हैं।
Mar,08 2021
हम विशà¥à¤µ में लगातार कई वरà¥à¤·à¥‹à¤‚ से अंतरराषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ महिला दिवस मनाते आ रहे हैं। महिलाओं के समà¥à¤®à¤¾à¤¨ के लिठघोषित इस दिन का उदà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤¯ सिरà¥à¤« महिलाओं के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ शà¥à¤°à¥ƒà¤¦à¥à¤§à¤¾ और समà¥à¤®à¤¾à¤¨ बताना है। इसलिठइस दिन को महिलाओं के आधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¿à¤•, शैकà¥à¤·à¤¿à¤•, आरà¥à¤¥à¤¿à¤•, राजनीतिक और सामाजिक उपलबà¥à¤§à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के उपलकà¥à¤·à¥à¤¯ में मनाया जाता है। आज अपने समाज में नारी के सà¥à¤¤à¤° को उठाने के लिठसबसे जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ जरूरत है महिला सशकà¥à¤¤à¤¿à¤•रण की। महिला सशकà¥à¤¤à¤¿à¤•रण का अरà¥à¤¥ है महिलाओं की आधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¿à¤•, शैकà¥à¤·à¤¿à¤•, सामजिक, राजनैतिक और आरà¥à¤¥à¤¿à¤• शकà¥à¤¤à¤¿ में वृधà¥à¤¦à¤¿ करना।
Sep,02 2020
मैने पेड़ से पूछा,
तà¥à¤® यà¥à¤—ों यà¥à¤—ों तक रहे अचल,
और अविचलित तà¥à¤®à¤¨à¥‡ दिया,
पथिकों को छाया और फल।
फिर à¤à¥€ तà¥à¤® रहे सदा पà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥à¤¨,
और हरे à¤à¤°à¥‡?